Monday, June 8, 2015

ध्यान तो ठीक है पर ग्रुप (संस्मरण)

MR. ABC added you
 
ध्यान और सिर्फ ध्यान बराबर अंतर्ध्यान 

ध्यान तो ठीक है पर ग्रुप के बारे में क्या ख्याल है अर्थात ध्यान और सिर्फ ध्यान नामक ग्रुप
 
ग्रुप तो जानवर भी बना लेते है। महत्व्पूर्ण है संगठन या टीम बनाना....
 
Koi janvar group nhi banata wo to janvar ek sath dikhte he to hume lagta he ki group bana liya. 

लगने को तो बहुत कुछ लगता ....लगना एक झूठ है और मैं यहाँ होने की बात कर रहा हूँ
ग्रुप जानवरों का भी है, आतंकियों का भी है, और आदमियों का भी ..........जिनका एक अपना मकसद है पर वो मकसद मानव और विश्व के लिए कितना कल्याणकारी है ....यह निश्चित करता है उसका संगठित होना......और इसके बिना ग्रुप ......जानवरो की झुण्ड के सामान है जिसमें complementry skill का अभाव होता है।

यानी आप सभी गुरुप में रहकर देख आये ।। भाई ये पियारे दोस्तों का गुरुप है।
यहाँ कोई आंतक वादी नही है ।। सो प्लीज़ भले मानुष अच्छा सोचो प्लीज अच्छे व्यक्तियो का गुरूप
 
आप एक तरफ मुझे भले मानुष बोल रहे हो और दूसरी तरफ अच्छा सोचने की नसीहत भी दे रहे हो। क्या यह संभव है कि कोई भला मानुष अच्छा नहीं सोचेगा। यदि नहीं तो फिर यहाँ सभी अच्छे, अच्छा कैसे सोच रहे हैं?........खैर कोई बात नहीं जब आप अच्छा सोचने की बात कर ही रहे हो तो आपकी बात स्वीकार कर लेता हूँ।.....फिर क्या आप बताना चाहेंगे की अच्छाई की माप क्या है जहाँ से मैं उसे शुरू करूँ।
शायद आपकी याददाश्त कमजोर हैं। मैं यहाँ खुद से नहीं आया हूँ बल्कि बुलाया गया हूँ।...वैसे भी मैं मौजूद होकर भी नहीं होता हूँ.....और नहीं होकर भी मौजूद होता हूँ। कोई खुद से लाख भागने के बहाने कर ले....लौट के खुद ही के पास जायेगा।........
 
Are bhai tumne jo ye hindi typing karke itna samay lagaya he
Kyu psreshan hote ho bhai
Aur tum yaha kisi ko aisa kon sa path pada doge
Yaha sab gyan ko uplabdha vyakti he
Tum nahak hi apna samay barbad kar rahe ho ...
Mujhe malum itna padne ke bad tum lamba choda lekh likh ke doge

हाँ.....हाँ......आप इतना परेशां क्यों हो। आप जिन्दा कहाँ हो कि मर जाओगे.......
 मैं यहाँ न पढ़ने के लिए हूँ और न पढ़ाने के लिए....यह झूठ का बोझ मुझ पर मत लादो........यह पहले भी कहते आया हूँ और आज भी
ध्यान और सिर्फ ध्यान.....और इसमें ज्ञान की अभिमान की बात अच्छी नहीं बड़े  भाई.
 
Mr.XYZ removed you
You can't send message to this group because you're no longer a participant
 
(आईना होकर भी वो खुद से दूर रहता है,
खुद को न पाकर खुद में, मजबूर रहता हैं।
खुद को देखने के लिए उसी को देखते हो तुम,
वो एक आइना जिसमे खुदा का नूर रहता हैं।)
 
(व्हाट्सप्प पर आधारित संस्मरण)
 

1 comment:

  1. बहुत खूब

    यहाँ भी पधारें
    http://chlachitra.blogspot.in/

    http://cricketluverr.blogspot.com

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