Sunday, March 9, 2014

माँ के मायने बस माँ


According to the World Health Organization (WHO), maternal death is defined as the death of a woman while pregnant or within 42 days of termination of pregnancy, irrespective of the duration and site of the pregnancy, from any cause related to or aggravated by the pregnancy or its management but not from accidental or incidental causes.

As per UNICEF, The Maternal and Prenatal Death Inquiry and Response (MAPEDIR) innovation extends across select districts in Rajasthan, Madhya Pradesh (MP), West Bengal, Jharkhand, Orissa and Bihar providing an ongoing, systematic collection of data to reconstruct and analyze the cases of 1,600 women -- the highest number of audited maternal deaths in the world.

 यह मुक्तक ऐसे ही एक माँ को समर्पित है, जो पिछले दिनों एक बच्चे को जन्म देने के कुछ दिनों उपरान्त ही स्वर्ग सिधार गयी. यह घटना आजमगढ़ जिले की है. एक मासूम बच्ची जो अभी १५-१६ दिन की है, उसके सर से माँ की छत उठ गयी. फिलहाल उस बच्ची का लालन-पालन उसके ननिहाल में हो रहा है, जहाँ उसकी देखभाल की जिम्मेदारी उसके गरीब नानी के कन्धों पर आन-पड़ी है. संलग्न तस्वीर उसी नानी और उसके गोद में उस बीमार बच्ची की है. दरअसल जब मैं परसों बस से बिंद्राबाज़ार उतरकर मेंहनगर की जीप पकड़कर कुछ दूर गया ही था कि किसी ने जीप को हाथ दिया. ज़ीप रोककर ड्राईवर ने जीप के पिछले भाग में मेरे सामने वाली सिट पर उसे बैठाया. एक अधेड़ उम्र औरत जिसके हाथों में एक मासूम बीमार बच्ची, जिसे अभी माँ के होने का मतलब भी नहीं पता. १५-१६ दिन की अल्प आयु में अपनी माँ से महरूम हो गयी. जिसे अपनी माँ का दूध भी नशीब नहीं हुआ. मेहनगर उतरने से पहले उसके पालन-पोषण को लेकर मेरे जहन में लाखों सवाल उठते रहे. क्योंकि अतीत के पन्नों से निकलकर हरेक युग में यशोदा नहीं आया करती. यदि आ भी जाय तो उतनी सामर्थ्यवान नहीं हुआ करती.

अब तक माँ और उसकी ममता की अभिव्यक्ति को लेकर लाखों असफल प्रयास किये गए हैं. मेरी यह रचना उसी कड़ी में एक और असफल प्रयास है. क्योंकि मेरा मानना है कि माँ को शब्दों में व्यान करना नामुमकिन है. अभी तक माँ के लिए जो भी विशेषण और उपमान उपयोग किये गए हैं, सब के सब एक खुबसूरत गुस्ताखी है जो साहित्यकार और शिल्पकार हरेक युग में करते आये हैं. यक़ीनन मैं बहुत ही सौभाग्यशाली, और खुद को गौरान्वित महशुस कर रहा हूँ कि मुझे भी माँ की अभिव्यक्ति का मौका मिला. सच तो यह है कि माँ के मायने हमसे बेहतर वो जानते हैं जिनकी माँ नहीं होती और उनके लिए माँ के मायने एक अभिशाप है,एक बेईमानी है...........................पर माँ को लेकर मेरा व्यक्तिगत विचार यह कि माँ के मायने बस माँ है.

माँ!
जैसे ग्रीष्म की बरगदी छाँव,
जैसे सावन की छतरिली आड़,
जैसे सर्दी की गुनगुनी धूप,
जैसे झरने की झर्र-झर्र,
जैसे झीलों की सौम्यता,
जैसे नदियों की चंचलता,

जैसे बसंती बहार,
जैसे अम्बर का विस्तार,
जैसे सागर की गहराई,
जैसे पवन पुरवाई,
जैसे धरती माई.

माँ! जैसे हदीश की नशीहते,
जैसे उपनिषद का ज्ञान,
जैसे गीता और कुरआन,
जैसे मंदिर की शंखनाद,
जैसे मस्जिद की अज़ान.

माँ! जैसे अंधे को आंख,
जैसे लंगड़े को पाँव,
जैसे लुल्हे को हाथ,
जैसे बहरे को कान,
जैसे गूंगे को जुबान.

माँ पास भी,
माँ आस भी,
माँ नीर भी,
माँ प्यास भी,
माँ जन्नत भी,
माँ मन्नत भी,
माँ ज्योति भी,
माँ अर्पण भी,
माँ रूप भी,
माँ दर्पण भी.

माँ स्तुति,
माँ संस्कार,
माँ साम्य,
माँ अलंकार,
माँ निर्मल,
माँ पावन,
माँ भाव,
माँ अभिव्यक्ति,
माँ उपमेय,
माँ उपमान,
माँ बिशेष्य,
माँ विशेषण,
 
माँ करुणा,
माँ क्षमा,
माँ अतुल्य,
माँ अलौकिक,
माँ के मायने
बस माँ.


------अनिल कुमार 'अलीन'-------

13 comments:

  1. BAHUT HI SUNDAR SHABDO ME MAA KA CHITRAN KIYA HAI

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  2. माँ को फिर भी व्यक्त करना आसाँ नहीं ...
    माँ बस माँ ही है ... उस जैसा कोई नहीं ...

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  3. माँ शब्‍दों से परे एक ऐसा आसमान जहाँ हम होते हैं वो वहाँ अपना आँचल क्रायम रखती है सदा ............................

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  4. वाह!!आपकी अभिव्यक्ति में पूरी की पूरी प्रकृति सिमट गई हो.
    सुंदर

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  5. माँ स्तुति,
    माँ संस्कार,
    माँ साम्य,
    माँ अलंकार,
    माँ निर्मल,
    माँ पावन,
    माँ भाव,
    माँ अभिव्यक्ति,
    माँ उपमेय,
    माँ उपमान,
    माँ बिशेष्य,
    माँ विशेषण,
    आपने माँ शब्द को परिभाषित किया है , बहुत से अलंकारों से ! खूबसूरत शब्द संजोये हैं आपने माँ के लिए ! लेकिन मैं कहूंगा कि माँ को किसी भी तरह से परिभाषित ही नहीं किया जा सकता है !

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  6. बहुत सुन्दर...माँ बस माँ है...

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  7. बहुत सुन्दर भावाभिव्यक्ति...माँ को नमन...

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  8. आप सभी का हार्दिक आभार!

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  9. SUNDAR V MARMIK ABHIVYAKTI .AABHAR

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  10. बहुत सुन्दर दिल छू लेने वाली प्रस्तुति माँ तो बस माँ होती है इस माँ शब्द को शब्दों में नहीं बाँध सकते.

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  11. आप सभी का हार्दिक आभार!

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  12. वाकई ....माँ तो बस माँ है ....सागर से गहरी ......पर्वतों से विशाल और नभ से विस्तृत ..जिसका प्यार ...!!!!

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  13. माँ जो मुझसे रूठी है, मैं उसे मना लूँगा, मोम को पिघले में वक़्त कितना लगता है

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