According to the World Health Organization (WHO), maternal
death is defined as the death of a woman while pregnant or within 42 days
of termination of pregnancy, irrespective of the duration and site of the
pregnancy, from any cause related to or aggravated by the pregnancy or its
management but not from accidental or incidental causes.
As per UNICEF, The Maternal and
Prenatal Death Inquiry and Response (MAPEDIR) innovation extends across select
districts in Rajasthan, Madhya Pradesh (MP), West Bengal, Jharkhand, Orissa and
Bihar providing an ongoing, systematic collection of data to reconstruct and
analyze the cases of 1,600 women -- the highest number of audited maternal
deaths in the world.
अब तक माँ और उसकी ममता की अभिव्यक्ति को लेकर लाखों असफल प्रयास किये
गए हैं. मेरी यह रचना उसी कड़ी में एक और असफल प्रयास है. क्योंकि मेरा मानना है कि
माँ को शब्दों में व्यान करना नामुमकिन है. अभी तक माँ के लिए जो भी विशेषण और
उपमान उपयोग किये गए हैं, सब के सब एक खुबसूरत गुस्ताखी है जो साहित्यकार और
शिल्पकार हरेक युग में करते आये हैं. यक़ीनन मैं बहुत ही सौभाग्यशाली, और खुद को गौरान्वित
महशुस कर रहा हूँ कि मुझे भी माँ की अभिव्यक्ति का मौका मिला. सच तो यह है कि माँ के
मायने हमसे बेहतर वो जानते हैं जिनकी माँ नहीं होती और उनके लिए माँ के मायने एक
अभिशाप है,एक बेईमानी है...........................पर माँ को लेकर मेरा व्यक्तिगत
विचार यह कि माँ के मायने बस माँ है.
माँ!जैसे ग्रीष्म की बरगदी छाँव,
जैसे सावन की छतरिली आड़,
जैसे सर्दी की गुनगुनी धूप,
जैसे झरने की झर्र-झर्र,
जैसे झीलों की सौम्यता,
जैसे नदियों की चंचलता,
जैसे बसंती बहार,
जैसे अम्बर का विस्तार,जैसे सागर की गहराई,
जैसे पवन पुरवाई,
जैसे धरती माई.
माँ! जैसे हदीश की नशीहते,
जैसे उपनिषद का ज्ञान,
जैसे गीता और कुरआन,
जैसे मंदिर की शंखनाद,
जैसे मस्जिद की अज़ान.
माँ! जैसे अंधे को आंख,
जैसे लंगड़े को पाँव,
जैसे लुल्हे को हाथ,
जैसे बहरे को कान,
जैसे गूंगे को जुबान.
माँ पास भी,
माँ आस भी,
माँ नीर भी,
माँ प्यास भी,माँ जन्नत भी,
माँ मन्नत भी,
माँ ज्योति भी,
माँ अर्पण भी,
माँ रूप भी,
माँ दर्पण भी.
माँ स्तुति,
माँ संस्कार,
माँ साम्य,
माँ अलंकार,
माँ निर्मल,
माँ पावन,
माँ भाव,
माँ अभिव्यक्ति,
माँ उपमेय,
माँ उपमान,
माँ बिशेष्य,
माँ विशेषण,
माँ करुणा,
माँ क्षमा,
माँ अतुल्य,
माँ अलौकिक,
माँ के मायने
बस माँ.
------अनिल कुमार 'अलीन'-------
BAHUT HI SUNDAR SHABDO ME MAA KA CHITRAN KIYA HAI
ReplyDeleteमाँ को फिर भी व्यक्त करना आसाँ नहीं ...
ReplyDeleteमाँ बस माँ ही है ... उस जैसा कोई नहीं ...
माँ शब्दों से परे एक ऐसा आसमान जहाँ हम होते हैं वो वहाँ अपना आँचल क्रायम रखती है सदा ............................
ReplyDeleteवाह!!आपकी अभिव्यक्ति में पूरी की पूरी प्रकृति सिमट गई हो.
ReplyDeleteसुंदर
माँ स्तुति,
ReplyDeleteमाँ संस्कार,
माँ साम्य,
माँ अलंकार,
माँ निर्मल,
माँ पावन,
माँ भाव,
माँ अभिव्यक्ति,
माँ उपमेय,
माँ उपमान,
माँ बिशेष्य,
माँ विशेषण,
आपने माँ शब्द को परिभाषित किया है , बहुत से अलंकारों से ! खूबसूरत शब्द संजोये हैं आपने माँ के लिए ! लेकिन मैं कहूंगा कि माँ को किसी भी तरह से परिभाषित ही नहीं किया जा सकता है !
बहुत सुन्दर...माँ बस माँ है...
ReplyDeleteबहुत सुन्दर भावाभिव्यक्ति...माँ को नमन...
ReplyDeleteआप सभी का हार्दिक आभार!
ReplyDeleteSUNDAR V MARMIK ABHIVYAKTI .AABHAR
ReplyDeleteबहुत सुन्दर दिल छू लेने वाली प्रस्तुति माँ तो बस माँ होती है इस माँ शब्द को शब्दों में नहीं बाँध सकते.
ReplyDeleteआप सभी का हार्दिक आभार!
ReplyDeleteवाकई ....माँ तो बस माँ है ....सागर से गहरी ......पर्वतों से विशाल और नभ से विस्तृत ..जिसका प्यार ...!!!!
ReplyDeleteमाँ जो मुझसे रूठी है, मैं उसे मना लूँगा, मोम को पिघले में वक़्त कितना लगता है
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