Thursday, September 3, 2015

ज्ञान मुद्रा

साथियों मानव जीवन के लिए उपयोगी कुछ मुद्राओं और उससे होने वाले लाभ को इस उम्मीद के साथ आपके सम्मुख रख रहा हूँ ताकि आप भी इससे कहीं न कहीं लाभान्वित हो सके।  मुद्राओं को जानने के लिए हाथ की उँगलियों की स्थिति का ज्ञान अत्यंत आवश्यक है. जैसा की संलग्न चित्र में हाथ की उँगलियों और अंगूँठा की स्थिति बायें से दायें (Clock Wise ) चलने पर निम्नवत देख सकते हैं …

१. अंगूँठा 

२. तर्जनी 

३. मध्यमा 

४. अनामिका 

५. कनिष्का 

ज्ञान मुद्रा:-

आरम्भ करते हैं  … ज्ञान मुद्रा की विधि और उससे होने वाले लाभ से। 

संलग्न चित्र में, जैसा कि आप मुझे पदमासन की स्थिति में  बैठे देख सकते हैं।  जिसके लिए  जरुरी है कि आप अपने दायें पैर को बाएं जांघ पर और बाएं पैर को दायें जाँघ पर रखते हुए आसन इस प्रकार  ग्रहण करें कि आपके नितम्ब के साथ-साथ दोनों पैर जमीन से भलीभाँति चिपके हुए हो।  साथ ही रीढ़ की हड्डी के सहारे सीधा बैठे।  ज्ञान मुद्रा धारण करने के लिए अपने हाथों के अंगूँठा के अगले भाग को तर्जनी ऊँगली के अगले भाग से स्पर्श करते हुए संग्लन चित्र की भाँति अन्य तीनों उँगलियों को सीधा रखते हुए आँख बंद करके साँस यथाथवत लेते रहे।आप बस इस बात का ध्यान रखे कि किसी भी मुद्रा को करते समय आप तनाव रहित हो। 

लाभ:-

इस मुद्रा का अभ्यास प्रतिदिन २५-३० करने से मानसिक रोग जैसे कि अनिद्रा अथवा अति निद्रा, कमजोर यादाश्त, क्रोधी स्वभाव इत्यादि में अत्यंत लाभ मिलने के साथ ही आपकी स्मरण शक्ति बढ़ती है. यह मुद्रा छात्रों और तनाव ग्रस्त लोगों के लिए अत्यंत उपयोगी है. आज के लिए इतना ही …। अगली बार किसी अन्य मुद्रा और उसके अभ्यास से होने वाले लाभ के साथ प्रस्तुत होऊंगा। तबतक के लिए आप सभी का धन्यवाद।         …… सूफ़ी ध्यान श्री 

No comments:

Post a Comment