Friday, March 21, 2014

गर चिराग मेरे मज़ार पर जला होता



7 comments:

  1. बहुत सुंदर अनिल जी.पोस्ट को थोड़ा एडिट कर लें और वर्ड वेरिफिकेशन को ऑफ कर दें.
    शुभकामनाएँ !

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    1. सादर प्रणाम सर!
      सर कोशिश किया हूँ. अब पक्तियों में मात्राओं की आसमानता प्रदर्शित हो रही है.......आप सभी का मार्गदर्शन अपेक्षित है.......

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  2. बहुत ख़ूबसूरत प्रस्तुति...

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  3. हार्दिक आभार श्रीमान .........................साथ ही मार्गदर्शन करते रहे............

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  4. हार्दिक आभार.............श्रीमान!

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