tag:blogger.com,1999:blog-1343848980536597277.post8005311721126395920..comments2023-05-24T05:52:46.279-07:00Comments on अद्य की स्याही : सम्भालों अपनी गौ माताओं कोसूफ़ी ध्यान श्री http://www.blogger.com/profile/17352903808458463623noreply@blogger.comBlogger1125tag:blogger.com,1999:blog-1343848980536597277.post-28313346070533463382016-10-10T11:28:38.264-07:002016-10-10T11:28:38.264-07:00माननीय ध्यान श्री जी , इस देश में गाय को माता कहने...माननीय ध्यान श्री जी , इस देश में गाय को माता कहने का तात्पर्य यह कि सदियों पूर्व जब इन्सान विकास से कोसों दूर था और खेती-किसानी जीवकोपार्जन का मुख्य आधार था,तब बैल एक मात्र संसाधन था जिससे कृषि कार्य संभव था ! बैल ही खेत में, बैल ही बैलगाड़ी में अतः बैल का अत्यंत महत्त्व था ! चूँकि बैल गाय का वंशज था अतः बैल की प्राप्ति के लिए गाय का होना अनिवार्य था !<br />तब गाय के महत्त्व को समझ समाज में गौ पालन की प्रथा चल पड़ी ! इसके दूध,गोबर,मूत्र आदि के गुणों के चलते इसे सम्मान की दृष्टि से गौ-माता के रूप में जाना गया ! कालांतर में भिन्न-भिन्न समयों में इस विषय पर अपने-अपने मत-अनुसार व्याख्याएं होतीं रही !फिर विकास-चक्र ने बैल की महत्ता को ही समाप्त सा कर दिया !समाज का हर समुदाय गाय पालता था और उसके मरने पर चर्मकार उसका चमडा निकालता था वह चमड़ा उसकी जीविका का साधन था !यहाँ यह कहना की कोई बेटा अपनी माँ के मरने के बाद उसकी चमड़ी उतरने हेतु दूसरों को सौप दे ,नितांत अमानवीय तथा अव्यवहारिक होगा !कहने को तो इस देश में नदियों को भी माँ कह कर पुकारा जाता है ! उसी नदी के जल को लोग पीते है, नहाते है,शौच-आदि करते हैं और फिर उसी में नालों की गन्दगी को बहा देते हैं !तब कोई नहीं कहता की सोच कर कांप उठता हूँ की लोगों ने अपनी माँ को नाले में बहा दिया ! <br />इस देश का बंटाधार इस देश की दोगली राजनीति ने किया है !यह जातिवाद का जहर और यह धर्मान्धता का जुनून सब का सब प्रायोजित है ! विकास चक्र के समक्ष जात-पात,धर्म-संप्रदाय सब गौण हैं !किन्तु देश की घटिया राजनीति जातिवाद के वृक्ष को सींच-सींच कर वटवृक्ष बनाने में जुटी है ! Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/00867623923237002219noreply@blogger.com