Monday, March 31, 2014

लगन तोसे लागी रे


लागी रे लागी रे, लागी रे लागी रे,
लगन तोसे लागी रे, लगन तोसे लागी रे.
 
लागी लगन जब से सांवरिया,
तब से बनी मैं तोरी बावरिया;
छोड़ के ये दुनिया सारी,
खोजत है तुझे नैना हमारी.
 
हमारी रे...लागी रे...हमारी रे...लागी रे...
लगन तोसे लागी रे, लगन तोसे लागी रे.
 
जब से मैंने तुझको जाना,
अब क्या खोना, अब क्या पाना;
बर्षों बाद निंदिया से जागी,
लोक लाज सब छोड़ के भागी.
 
भागी रे...लागी रे...भागी रे...लागी रे...
लगन तोसे लागी रे, लगन तोसे लागी रे.
 
कैसा बंधन, कैसी माया,
रंग गयी तुझमे मेरी काया,
काहे को पंडित, काहे को काज़ी,
अब तो हो गयी अपनी शादी.
 
शादी रे...लागी रे...शादी रे...लागी रे...
लगन तोसे लागी रे, लगन तोसे लागी रे.
 
अन्दर तू, बाहर तू,
चाह भी तू, राह भी तू,
एक आश और विश्वास भी तू,
तू ही तू, तू ही तू.
 
कृष्णा..........................
लगन तोसे लागी रे, लगन तोसे लागी रे.
लगन तोसे लागी रे, लगन तोसे लागी रे.
        ---०४/०४/२००५---
____अनिल कुमार ‘अलीन’_____
 
यह मेरी रचना मीरा बाई का कृष्ण के प्रति प्रेम को समर्पित है............

6 comments:

  1. क्या बात है। शानदार। अच्छा लगा आपके ब्लॉग पर आकर।

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  2. सुंदर भावाभिव्यक्ति ...मीराबाई की भक्ति और कृष्ण के प्रति उनका प्रेम अद्भुत है।

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  3. भावभीनी भक्तिमय रचना..

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